मोटिवेशनल स्टोरीहिंदी सन्देश

Moral Stories in Hindi

 

प्रेरणादायक हिंदी कहानियां
मोरल स्टोरीज इन हिंदी

 

शर्मिंदा
*शर्मिंदा*

फ़ोन की घंटी तो सुनी मगर आलस की वजह से रजाई में ही लेटी रही। उसके पति राहुल को आखिर उठना ही पड़ा। दूसरे कमरे में पड़े फ़ोन की घंटी बजती ही जा रही थी।इतनी सुबह कौन हो सकता है जो सोने भी नहीं देता, इसी चिड़चिड़ाहट में उसने फ़ोन उठाया। “हेल्लो, कौन” तभी दूसरी तरफ से आवाज सुन सारी नींद खुल गयी।

“नमस्ते पापा।” “बेटा, बहुत दिनों से तुम्हे मिले नहीं सो हम दोनों ११ बजे की गाड़ी से आ रहे है। दोपहर का खाना साथ में खा कर हम ४ बजे की गाड़ी वापिस लौट जायेंगे। ठीक है।” “हाँ पापा, मैं स्टेशन पर आपको लेने आ जाऊंगा।”

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फ़ोन रख कर वापिस कमरे में आ कर उसने रचना को बताया कि मम्मी पापा ११ बजे की गाड़ी से आरहे है और दोपहर का खाना हमारे साथ ही खायेंगे।

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रजाई में घुसी रचना का पारा एक दम सातवें आसमान पर चढ़ गया। “कोई इतवार को भी सोने नहीं देता, अब सबके के लिए खाना बनाओ। पूरी नौकरानी बना दिया है।” गुस्से से उठी और बाथरूम में घुस गयी। राहुल हक्का बक्का हो उसे देखता ही रह गया।

जब वो बाहर आयी तो राहुल ने पूछा “क्या बनाओगी।” गुस्से से भरी रचना ने तुनक के जवाब दिया “अपने को तल के खिला दूँगी।” राहुल चुप रहा और मुस्कराता हुआ तैयार होने में लग गया, स्टेशन जो जाना था।

थोड़ी देर बाद ग़ुस्सैल रचना को बोल कर वो मम्मी पापा को लेने स्टेशन जा रहा है वो घर से निकल गया।

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रचना गुस्से में बड़बड़ाते हुए खाना बना रही थी।

दाल सब्जी में नमक, मसाले ठीक है या नहीं की परवाह किए बिना बस करछी चलाये जा रही थी। कच्चा पक्का खाना बना बेमन से परांठे तलने लगी तो कोई कच्चा तो कोई जला हुआ। आखिर उसने सब कुछ ख़तम किया, नहाने चली गयी।

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नहा के निकली और तैयार हो सोफे पर बैठ मैगज़ीन के पन्ने पलटने लगी।उसके मन में तो बस यह चल रहा था कि सारा संडे खराब कर दिया। बस अब तो आएँ , खाएँ और वापिस जाएँ ।

थोड़ी देर में घर की घंटी बजी तो बड़े बेमन से उठी और दरवाजा खोला। दरवाजा खुलते ही उसकी आँखें हैरानी से फटी की फटी रह गयी और मुँह से एक शब्द भी नहीं निकल सका।

सामने राहुल के नहीं उसके अपने मम्मी पापा खड़े थे जिन्हें राहुल स्टेशन से लाया था।

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मम्मी ने आगे बढ़ कर उसे झिंझोड़ा “अरे, क्या हुआ। इतनी हैरान परेशान क्यों लग रही है। क्या राहुल ने बताया नहीं कि हम आ रहे हैं।” जैसे मानो रचना के नींद टूटी हो “नहीं, मम्मी इन्होंने तो बताया था पर…. रर… रर। चलो आप अंदर तो आओ।” राहुल तो अपनी मुसकराहट रोक नहीं पा रहा था।

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कुछ देर इधर उधर की बातें करने में बीत गया। थोड़ी देर बाद पापा ने कहाँ “रचना, गप्पे ही मारती रहोगी या कुछ खिलाओगी भी।” यह सुन रचना को मानो साँप सूँघ गया हो। क्या करती, बेचारी को अपने हाथों ही से बनाए अध पक्के और जले हुए खाने को परोसना पड़ा। मम्मी पापा खाना तो खा रहे थे मगर उनकी आँखों में एक प्रश्न था जिसका वो जवाब ढूँढ रहे थे। आखिर इतना स्वादिष्ट खाना बनाने वाली उनकी बेटी आज उन्हें कैसा खाना खिला रही है।

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रचना बस मुँह नीचे किए बैठी खाना खा रही थी। मम्मी पापा से आँख मिलाने की उसकी हिम्मत नहीं हो पा रही थी। खाना ख़तम कर सब ड्राइंग रूम में आ बैठे। राहुल कुछ काम है अभी आता हुँ कह कर थोड़ी देर के लिए बाहर निकल गया। राहुल के जाते ही मम्मी, जो बहुत देर से चुप बैठी थी बोल पड़ी “क्या राहुल ने बताया नहीं था की हम आ रहे हैं।”

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तो अचानक रचना के मुँह से निकल गया “उसने सिर्फ यह कहाँ था कि मम्मी पापा लंच पर आ रहे हैं, मैं समझी उसके मम्मी पापा आ रहे हैं।”

फिर क्या था रचना की मम्मी को समझते देर नहीं लगी कि ये मामला है। बहुत दुखी मन से उन्होंने रचना को समझाया “बेटी, हम हों या उसके मम्मी पापा तुम्हे तो बराबर का सम्मान करना चाहिए। मम्मी पापा क्या, कोई भी घर आए तो खुशी खुशी अपनी हैसियत के मुताबिक उसकी सेवा करो। बेटी, जितना किसी को सम्मान दोगी उतना तुम्हे ही प्यार और इज़्ज़त मिलेगी। जैसे राहुल हमारी इज़्ज़त करता है उसी तरह तुम्हे भी उसके माता पिता और सम्बन्धियों की इज़्ज़त करनी चाहिए। रिश्ता कोई भी हो, हमारा या उसका, कभी फर्क नहीं करना।”

रचना की आँखों में ऑंसू आ गए और अपने को शर्मिंदा महसूस कर उसने मम्मी को वचन दिया कि आज के बाद फिर ऐसा कभी नहीं होगा..!

 

बेटा-बहु
*बेटा-बहु*

बेटा-बहु अपने बैडरूम में बातें कर रहे थे। द्वार खुला होने के कारण उनकी आवाजें बाहर कमरे में बैठी

माँ को भी सुनाई दे रहीं थीं।

बेटा-" अपने नौकरी के कारण हम माँ का ध्यान नहीं रख पाएँगे, उनकी देखभाल कौन करेगा ? क्यूँ ना, उन्हें वृद्धाश्रम में दाखिल करा दें, वहाँ उनकी देखभाल भी होगी और हम भी

कभी कभी उनसे मिलते रहेंगे।

बेटे की बात पर बहु ने जो कहा, उसे सुनकर माँ की आँखों में आँसू आ गए।

बहु--" पैसे कमाने के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है जी, लेकिन माँ का

आशीष जितना भी मिले, वो कम है। उनके लिए पैसों से ज्यादा हमारा संग-साथ जरूरी है। मैं अगर नौकरी ना करूँ तो कोई बहुत अधिक नुकसान नहीं होगा।

मैं माँ के साथ रहूँगी

घर पर ट्यूशन पढ़ाऊँगी,

इससे माँ की देखभाल भी कर

पाऊँगी। याद करो, तुम्हारे बचपन में ही तुम्हारे पिता नहीं रहे और घरेलू काम धाम करके तुम्हारी माँ ने तुम्हारा पालन पोषण किया, तुम्हें पढ़ाया

लिखाया, काबिल बनाया।

तब उन्होंने कभी भी पड़ोसन के पास तक नहीं छोड़ा, कारण तुम्हारी देखभाल कोई दूसरा अच्छी तरह नहीं करेगा, और तुम आज ऐंसा बोल रहे हो। तुम कुछ भी कहो, लेकिन माँ हमारे ही पास रहेंगी, हमेशा अंत तक।

बहु की उपरोक्त बातें सुन, माँ रोने लगती है और रोती हुई ही, पूजा घर में पहुँचती है। ईश्वर के सामने खड़े होकर माँ उनका आभार मानती है

और उनसे कहती है--" भगवान, तुमने मुझे बेटी नहीं दी, इस वजह से

कितनी ही बार मैं तुम्हे भला बुरा

कहती रहती थी, लेकिन ऐंसी भाग्यलक्ष्मी देने के लिए तुम्हारा आभार मैं किस तरह मानूँ...?

ऐंसी बहु पाकर, मेरा तो जीवन सफल हो गया, प्रभु।

मित्रो यह कहानी आज के परिवेश में बहुत महत्व रखती है कि आखिर हमारी संस्कृति को हम क्या आयाम दे रहे हैं। कृपया अधिक से अधिक शेयर करके अपने दोस्तों को भी पढ़वाएं।

     अपनी बेटियों को जरूर ऐसे संस्कार दे

 

सौंदर्य का मूल्य या विचारों में उदारता
*सौंदर्य का मूल्य या विचारों में उदारता*

एक सभ्रांत प्रतीत होने वाली अतीव सुन्दरी ने विमान में प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजरें घुमाईं । उसने देखा कि उसकी सीट एक ऐसे व्यक्ति के बगल में है जो जिसके दोनों ही हाथ नहीं है। महिला को उस अपाहिज व्यक्ति के पास बैठने में झिझक हुई !

उस 'सुंदर' महिला ने एयरहोस्टेस को कहा कि वह उसके लिए नियत सीट पर सुविधापूर्वक यात्रा नहीं कर पायेगी, क्योंकि साथ की सीट पर एक दोनों हाथ विहीन व्यक्ति बैठा हुआ है | उस सुन्दरी ने एयरहोस्टेस से सीट बदलने हेतु आग्रह किया |

असहज हुई एयरहोस्टेस ने पूछा, "मैम क्या मुझे कारण बता सकती है"?

'सुंदर' महिला ने जवाब दिया: "मैं ऐसे लोगों को पसंद नहीं करती। मैं ऐसे व्यक्ति के पास बैठकर यात्रा नहीं कर पाउंगी "।

दिखने में सभ्रांत और विनम्र प्रतीत होने वाली महिला के यह उद्गार सुनकर एयर हॉस्टेज़ अचंभित हो गई । सुन्दरी ने एक बार फिर एयरहोस्टेस से जोर देकर कहा कि मैं उस सीट पर नहीं बैठ सकती और मुझे कोई दूसरी सीट दे दी जाए ।

एयरहोस्टेस ने खाली सीट की तलाश में चारों ओर नजर घुमाई, पर कोई भी सीट खाली नहीं दिखी ।

एयरहोस्टेस ने महिला से कहा कि "मैडम इस इकोनोमी क्लास में कोई सीट रिक्त नहीं है, किन्तु यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखना हमारा दायित्व है, अतः मैं वायुयान के कप्तान से बात करती हूँ, कृपया तब तक थोडा धैर्य रखें "। ऐसा कहकर होस्टेस कप्तान से बात करने चली गई |

कुछ समय बाद उसने लौट कर महिला को बताया, "महोदया! आपको जो असुविधा हुई, उसके लिए बहुत खेद है | इस पूरे विमान में, केवल एक सीट खाली है और वह प्रथम श्रेणी में है। मैंने हमारी टीम से बात की और हमने एक असाधारण निर्णय लिया। एक यात्री को इकोनॉमी क्लास से प्रथम श्रेणी में भेजने का कार्य हमारी कंपनी के इतिहास में पहली बार हो रहा है ... "।

'सुंदर' महिला अत्यंत प्रसन्न हो गई, किन्तु इसके पहले कि वह अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करती और एक शब्द भी बोल पाती ... एयरहोस्टेस उस अपाहिज और दोनों हाथ विहीन व्यक्ति की ओर बढ़ गई और विनम्रता पूर्वक उनसे पूछा "सर, क्या आप प्रथम श्रेणी में जा सकेंगे ? क्योंकि हम नहीं चाहते कि आप एक अशिष्ट यात्री के साथ यात्रा करने की त्रासदी भुगतें । "

यह सुनकर प्रत्येक यात्री ने ताली बजाकर इस निर्णय का स्वागत किया। वह अतीव सुन्दरी महिला तो अब शर्म से नजरें ही नहीं उठा पा रही थी।

तब उस अपाहिज व्यक्ति ने खड़े होकर कहा, "मैं एक भूतपूर्व सैनिक हूँ और मैंने एक ऑपरेशन के दौरान कश्मीर सीमा पर हुए बम विस्फोट में अपने दोनों हाथ खोये थे । सबसे पहले, जब मैंने इन देवी जी की चर्चा सुनी, तब मैं सोच रहा था: मैंने भी किन लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाली और अपने हाथ खोये ? लेकिन जब आप सभी की प्रतिक्रिया देखी तो अब अपने आप पर गर्व महसूस हो रहा है कि मैंने अपने देश और देशवासियों की खातिर अपने दोनों हाथ खोये । "और इतना कह कर, वह प्रथम श्रेणी में चले गए।

'सुंदर' महिला पूरी तरह से शर्मिंदा होकर सर झुकाए सीट में गढ़ गई।

उस अतीव  सौंदर्य का भी कोई मूल्य नहीं अगर विचारों में उदारता न हो ...🙏🌿!

 

दो गिद्ध…..
*दो गिद्ध.....*

यह तस्वीर याद है आपको? इसे नाम दिया गया था"The vulture and the little girl "। इस तस्वीर में एक गिद्ध भूख से मर रही एक छोटी लड़की के मरने का इंतज़ार कर रहा है । इसे एक साउथ अफ्रीकन फोटो जर्नलिस्ट केविन कार्टर ने 1993 में  सूडान के अकाल के समय खींचा था और इसके लिए उन्हें पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था । लेकिन कार्टर इस सम्मान का आनंद कुछ ही दिन उठा पाए क्योंकि कुछ महीनों बाद 33 वर्ष की आयु में उन्होंने अवसाद से आत्महत्या कर ली । क्या हुआ?

दरअसल जब वे इस सम्मान का जश्न मना रहे थे तो सारी दुनिया में प्रमुख चैनल और नेटवर्क पर इसकी  चर्चा हो रही थी । उनका अवसाद तब शुरू हुआ जब एक 'फोन इंटरव्यू' के दौरान किसी ने पूछा कि उस लड़की का क्या हुआ? कार्टर ने कहा कि वह देखने के लिए रुके नहीं क्यों कि उन्हें फ्लाइट पकड़नी थी । इस पर उस व्यक्ति ने कहा " मैं आपको बता रहा हूँ कि उस दिन वहां दो गिद्ध थे जिसमें एक के हाथ में कैमरा था।"

इस कथन के भाव ने कार्टर को इतना विचलित कर दिया कि वे अवसाद में चले गये और अंत में आत्महत्या कर ली ।

किसी भी स्थिति में कुछ हासिल करने से पहले  मानवता आनी ही चाहिए । कार्टर आज जीवित होते अगर वे उस बच्ची को उठा कर यूनाईटेड नेशन्स के फीडिंग सेंटर तक पहुँचा देते जहाँ पहुँचने की वह कोशिश कर रही थी ।
 
*कभी मौका पड़े तो ऐसी परिस्थितियों में  फोटो  खींचने की जगह उनकी मदद करने की कोशिश करे यही सच्ची फोटोग्राफी होगी*😢

 

कीमती भाव
*कीमती भाव*

एक बार एक बेहद खूबसूरत महिला समुद्र 🌊 के किनारे रेत पर टहल  रही थी। समुद्र की लहरों के साथ कोई एक बहुत चमकदार पत्थर छोर पर आ गया।

महिला ने वह नायाब-सा दिखने वाला पत्थर उठा लिया वह हीरा था। महिला ने चुपचाप उसे अपने पर्स में रख लिया लेकिन उसके हाव-भाव पर बहुत फर्क नहीं पड़ा।

पास में खड़ा एक बूढ़ा व्यक्ति बडे़ ही कौतूहल से यह सब देख रहा था। अचानक वह अपनी जगह से उठा और उस महिला की ओर बढ़ने लगा महिला के पास जाकर उस बूढ़े व्यक्ति ने उसके सामने हाथ फैलाए और बोला, 'मैंने पिछले चार दिनों से कुछ भी नहीं खाया है क्या तुम मेरी मदद कर सकती हो'

उस महिला ने तुरंत अपना पर्स खोला और कुछ खाने की चीज ढूंढने लगी उस ने देखा बूढ़े की नजर उस पत्थर पर है, जिसे कुछ समय पहले उसने समुद्र तट पर रेत में पड़ा पाया था।

महिला पूरी कहानी समझ गई उस ने झट से वह पत्थर निकाला और उस बूढ़े को दे दिया बूढ़ा सोचने लगा कि कोई ऐसी कीमती चीज भला इतनी आसानी से कैसे दे सकता है।

बूढ़े ने गौर से उस पत्थर को देखा, वह असली हीरा था बूढ़ा सोच में पड़ गया। इतने में औरत पलटकर वापस अपने रास्ते पर आगे बढ़ चुकी थी बूढ़े ने उस औरत से पूछा, 'क्या तुम जानती हो, यह एक बेशकीमती हीरा 💎 है।

महिला ने जवाब देते हुए कहा- 'जी हां, मुझे यकीन है कि यह हीरा ही है लेकिन मेरी खुशी इस हीरे में नहीं, मेरे भीतर है।

समुद्र की लहरों की तरह ही दौलत और शोहरत आती-जाती रहती है। अगर अपनी खुशी इन से जोड़ेंगे, तो कभी खुश नहीं रह सकते'।

बूढ़े व्यक्ति ने हीरा उस महिला को वापस कर दिया और कहा यह हीरा तुम रखो और मुझे इस से कई गुना ज्यादा कीमती वह भाव दे दो, जिस की वजह से तुमने इतनी आसानी से यह हीरा 💎 मुझे दे दिया।
🙏🙏🙏

 

मदद की बराबरी
*मदद की बराबरी*

दुनिया के सबसे धनवान व्यक्ति बिल गेट्स से किसी ने पूछा *'क्या इस धरती पर आपसे भी अमीर कोई है..?*

बिल गेट्स ने जवाब दिया हां, *एक व्यक्ति इस दुनिया में मुझसे भी अमीर है।*

कौन !?

*बिल गेट्स ने बताया:*

एक समय मे जब मेरी प्रसिद्धि और अमीरी के दिन नहीं थे, मैं न्यूयॉर्क एयरपोर्ट पर था.. वहां सुबह सुबह अखबार देख कर, मैंने एक अखबार खरीदना चाहा,पर मेरे पास खुदरा पैसे नहीं थे.. सो, मैंने अखबार लेने का विचार त्याग कर उसे वापस रख दिया.. अखबार बेचने वाले लड़के ने मुझे देखा, तो मैंने खुदरा पैसे/सिक्के न होने की बात कही.. लड़के ने अखबार देते हुए कहा 'यह मैं आपको मुफ्त में देता हूँ..'

_बात आई-गई हो गई.._ कोई तीन माह बाद संयोगवश उसी एयरपोर्ट पर मैं फिर उतरा और अखबार के लिए फिर मेरे पास सिक्के नहीं थे।उस लड़के ने मुझे फिर से अखबार दिया,तो मैंने मना कर दिया,मैं ये नहीं ले सकता.. उस लड़के ने कहा, आप इसे ले सकते हैं, *मैं इसे अपने प्रॉफिट के हिस्से से दे रहा हूँ.. मुझे नुकसान नहीं होगा।* मैंने अखबार ले लिया..!!

*_19 साल बाद अपने प्रसिद्ध हो जाने के बाद_* एक दिन मुझे उस लड़के की याद आयी और मैंने उसे ढूंढना शुरू किया। कोई डेढ़ महीने खोजने के बाद आखिरकार वह मिल गया। मैंने पूछा 'क्या तुम मुझे पहचानते हो ?'

_लड़का - हां, आप मि. बिल गेट्स हैं._

_गेट्स - तुम्हे याद है, कभी तुमने मुझे फ्री में अखबार दिए थे ?_

_लड़का - जी हां, बिल्कुल.. ऐसा दो बार हुआ था.._

गेट्स- मैं तुम्हारे उस किये हुए की कीमत अदा करना चाहता हूँ.. तुम अपनी जिंदगी में जो कुछ चाहते हो, बताओ, मैं तुम्हारी हर जरूरत पूरी करूंगा..

*लड़का - सर, लेकिन क्या आप को नहीं लगता कि, ऐसा कर के आप मेरे काम की कीमत अदा नहीं कर पाएंगे..*

गेट्स - क्यूं ..!?

*लड़का - मैंने जब आपकी मदद की थी, मैं एक गरीब लड़का था, जो अखबार बेचता था.., आप मेरी मदद तब कर रहे हैं, जब आप इस दुनिया के सबसे अमीर और सामर्थ्य व्यक्ति हैं.. फिर आप मेरी मदद की बराबरी कैसे करेंगे..⁉*

_बिल गेट्स की नजर में, वह व्यक्ति दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति से भी अमीर था,_ *क्योंकि..*

"किसी की मदद करने के लिए, उसने अमीर होने का इंतजार नहीं किया था "..

*"अमीरी पैसे से नहीं दिल से होती है"* दोस्तो..किसी की मदद करने के लिए *अमीर दिल का होना बहुत जरूरी है* 🤗

 

जीने की कला
*जीने की कला*

एक शाम माँ ने दिनभर की लम्बी थकान एवं काम के बाद जब डिनर बनाया तो उन्होंने पापा के सामने एक प्लेट सब्जी और एक जली हुई रोटी परोसी। मुझे लग रहा था कि इस जली हुई रोटी पर कोई कुछ कहेगा।

परन्तु पापा ने उस रोटी को आराम से खा लिया ।मैंने माँ को पापा से उस जली रोटी के लिए "साॅरी" बोलते हुए जरूर सुना था। और मैं ये कभी नहीं भूल सकता जो पापा ने कहा "प्रिये, मूझे जली हुई कड़क रोटी बेहद पसंद है।"

देर रात को मैंने पापा से पूछा, क्या उन्हें सचमुच जली रोटी पसंद है?

उन्होंने मुझे अपनी बाहों में लेते हुए कहा - तुम्हारी माँ ने आज दिनभर ढ़ेर सारा काम किया, और वो सचमुच बहुत थकी हुई थी और...वेसे भी...एक जली रोटी किसी को ठेस नहीं पहुंचाती, परन्तु कठोर-कटू शब्द जरूर पहुंचाते हैं।

तुम्हें पता है बेटा - जिंदगी भरी पड़ी है अपूर्ण चीजों से...अपूर्ण लोगों से... कमियों से...दोषों से...मैं स्वयं सर्वश्रेष्ठ नहीं, साधारण हूँ और शायद ही किसी काम में ठीक हूँ।

मैंने इतने सालों में सीखा है कि-

"एक दूसरे की गलतियों को स्वीकार करो...अनदेखी करो... और चुनो... पसंद करो...आपसी संबंधों को सेलिब्रेट करना।"

मित्रों, जिदंगी बहुत छोटी है...उसे हर सुबह दु:ख...पछतावे...खेद के साथ  जताते हुए बर्बाद न करें।

जो लोग तुमसे अच्छा व्यवहार करते हैं, उन्हें प्यार करो ओर जो नहीं करते उनके लिए दया  सहानुभूति रखो।

किसी ने क्या खूब कहा है-

*"मेरे पास वक्त नहीं उन लोगों से नफरत करने का जो मुझे पसंद नहीं करते*,

*क्योंकि मैं व्यस्त हूँ उन लोगों को प्यार करने में जो मुझे पसंद करते हैं।✌

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

 

‼क्या पाया और क्या खोया❓‼
*‼क्या पाया और क्या खोया❓‼*

एक वृद्ध व्यक्ति बहुत परेशान था कारण शारीरिक बीमारी से ग्रस्त था। वो बैठा कुछ सोच रहा था तभी बहु की आवाज आई-- "बैठे रहते है दिन भर। बस बैठे-बैठे खाते है।"

वृद्ध व्यक्ति सुनकर रोने लगा। ओर याद करने लगा उस पल को जब बचपन में खेल कर बिताया ओर जवानी में मस्त होकर जीवन जिया अब बुढापा आया तो आज शरीर तो दुःख दे रहा है साथ में अपने भी दुःख दे रहे है। क्या जो जीवन मैंने जिया 80 वर्ष वो सब बेकार था❓ आज मेरे पास क्या है❓ यह शरीर जिसके लिए न जाने क्या-क्या नही किया आज वही दुःख का कारण बन बैठा है। जिसके लिए किया वो भी आज दुःख के समय दुःखी कर रहे है।

आखिर इतने वर्ष में मैंने क्या पाया❓😞 अब तो मौत आने वाली है। यह मानव जीवन इतना दुःख से भरा हुआ है आरम्भ से लेकर अंत तक लेकिन मुझे कभी अफसोस नही हुआ लेकिन आज अफसोस हो रहा है क्योंकि आज मुझे जीवन का कोई लक्ष्य नही दिख रहा है।

पहले धन कमाने का लक्ष्य था, मकान बनाने का लक्ष्य था, बेटों को पढ़ाने का लक्ष्य था बहुत सारे लेकिन ये सब एक जगह आकर रुक गए लेकिन इसमें मेरा क्या लाभ हुआ❓ जहाँ से शुरू हुआ वही पर आकर रुक गया हूँ। *खाली हाथ आए थे न साथ कोई आया था अब खाली हाथ जाना है न साथ कोई जाएगा।*

पता नही क्यों यह मानव तन मिला है❓मौत के बाद मेरा क्या होगा❓हे भगवान इतनी पूजा-पाठ की उसका क्या लाभ हुआ जीवन का❓कुछ समझ में नही आया। क्या पाया और क्या खोया।

*जीवन की सत्यता हर बार हमारे दरवाजे पर दस्तक देती है कभी किसी के मौत दिखाकर तो कभी दुःख के द्वारा लेकिन हम् सभी संसार में इतने व्यस्त हो जाते है कि कभी जानने का मौका नही मिलता है। मानव जीवन बहुत भाग्य से मिलता है सभी को चाहे आपका परिवार हो या हमारा बस कुछ समय के लिए सभी मेहमान है। अगर अपने से ओर अपने परिवार से अपने समाज से प्रेम करते है तो उस सत्यता को स्वयं जाने और समाज को भी बताए क्योंकि न जाने कब वो घड़ी आ जाए जब अपने भी छूट जाएंगे और संसार भी छूट जाएगा।

भक्ति किजिए हरि और गुरू का , जीवन का वास्तविक लक्ष्य मिल जाएगा , और हासिल भी हो जाएगा ।🙏🏻😞*

*🙏🏻राधे राधे 🙏🏻*

 

सफल जीवन
*सफल जीवन*

👦🏻एक बेटे ने पिता से पूछा-

पापा.. ये 'सफल जीवन' क्या होता है ??🤔

पिता, बेटे को पतंग 🔶 उड़ाने ले गए।

बेटा पिता को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था...🤔

थोड़ी देर बाद बेटा बोला-

पापा.. ये धागे की वजह से पतंग अपनी आजादी से और ऊपर की और नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें !!  ये और ऊपर चली जाएगी....🙂

पिता ने धागा तोड़ दिया ..

पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आयी और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई...

तब पिता ने बेटे को जीवन का दर्शन समझाया...

बेटा..

'जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं..

हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं

जैसे :

-घर-⛪

-परिवार-👨‍👨‍👧‍👦

-अनुशासन-🏃🏼

-माता-पिता-👪

-गुरू-और-👵🏻

-समाज-

और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं...

वास्तव में यही वो धागे होते हैं जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं..

'इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा जो बिन धागे की पतंग का हुआ...'

"अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना.."

"धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही 'सफल जीवन' कहते हैं.."

🙏🙏

 

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