त्यौहार पर बधाई

Women’s Day Wishes – महिला दिवस पर संदेश, हर नारी को नमन….

 

Mahila Diwas Wishes 2024
Women’s Day Wishes In Hindi

 

अगर एक आदमी को शिक्षित किया जाता है
तब एक आदमी ही शिक्षित होता हैं लेकिन
जब एक औरत को शिक्षित किया जाता हैं
तब एक पीढ़ी शिक्षित होती हैं
महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

 

शिक्षा की ताकत को जानों
नारी तुम खुद को पहचानों
तुम हो मानवता की पालनहार
इस सृष्टि पर की हो उपकार
महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 2024

 

कोई भी देश यश के शिखर पर
तब तक नहीं पहुंच सकता
जब तक उसकी महिलाएं
कंधे से कंधा मिलाकर ना चलें
Happy Womens Day 2024

 

मुस्कुराकर दर्द भुलाकर
रिश्तों में बंद थी दुनिया सारी
हर पग को रोशन करने वाली
वो शक्ति है एक नारी
महिला दिवस 2024 की शुभकामनाएं

 

दिन की रौशनी ख्वाबों को बनाने में गुजर गई
रात की नींद बच्चे को सुलाने में गुजर गई
जिस घर में मेरे नाम की तख्ती भी नही
साड़ी उम्र उस घर को सजाने में गुजर गई
Happy Women's Day 2024

 

Few lines on Women’s Day in Hindi
औरत की क्या पहचान हैं
औरत एक माँ हैं
घर की शान हैं
पूरे परिवार की जान हैं

 

मासूमियत बेटी हूं मैं केयर बहन हूं मैं
अंडरस्टैंडिंग दोस्त हूं मैं डेडीकेशन पत्नी हूं मैं
दिव्य मां हूं मैं आशीर्वाद दादी हूं मैं
एक में अनेक हूं मैं नारी हूं मैं नारी हूं मैं
Happy Womens Day 2024

 

जिंदगी के हर रंग में रंगना आता है उसे
परिस्थिति चाहे कैसी भी हो ढलना आता है उसे
देती है साथ वो जीवन के हर मोड़ पर
कभी पत्नी तो कभी दोस्त बनना आता है उसे
जिम्मेदारियों को निभा कर भी
अपने हर अधिकार को अनदेखा करना आता है उसे
Happy Womens Day 2024

 

वह जन्म देती है, वह मौत से बचाती है
वह आगे बढ़ाती है, वह औरत कहलाती है
महिला दिवस की शुभकामनाएं

 

जग जननी हूं जग पालक हूं
मैं नारी हूं न किसी से हारी हूं
निःशेष लोक जन्मा मेरे उर से
फिर भी मैं ही कोख में मारी हूं
जग जननी हूं, जग पालक हूं
मैं नारी हूं न किसी से हारी हूं

 

महिला दिवस पर बधाई संदेश
*कई साल पहले एक बड़े कॉर्पोरेट हाउस ने बेंगलोर में *मैनेजमेंट गुरुओं*

*का एक सम्मेलन कराया था।*

 

उसमे एक सवाल पूछा गया था।

 

*आप सफलतम मैनेजर किसे मानते हैं?*

 

विशेषज्ञों ने...

 

रोनाल्ड रीगन से नेल्सन मंडेला तक,

 

चर्चिल से गांधी तक,

 

टाटा से हेनरी फोर्ड तक,

 

चाणक्य से बिस्मार्क तक,

 

और न जाने कितने और नाम सुझाये।

 

पर ज्यूरी ने *कुछ और ही सोच* रखा था।

 

*सही उत्तर था* सफलतम प्रबंधक है...

 

*"एक आम गृहिणी ।"*

 

एक गृहिणी परिवार से किसी का *ट्रांसफर* नहीं कर सकती।

 

किसी को *सस्पेंड* नहीं कर सकती।

 

किसी को *टर्मिनेट* नहीं कर सकती।

 

और,

 

किसी को *अपॉइंट* भी नहीं कर सकती।

 

परन्तु फिर भी *सबसे काम करवाने की क्षमता* रखती है।

 

*किससे*, *क्या* और *कैसे* कराना है...

 

कब *प्रेम के राग* में *हौले से काम पिरोना* है...

 

और कब *राग सप्तक* पर *उच्च स्वर* में *भैरवी सुना कर* जरूरी कामों को अंजाम तक पहुंचाना है...

 

उसे पता होता है।

 

मानव संसाधन प्रबंधन का इससे बेहतर क्या उदहारण हो सकता है?

 

बड़े बड़े उद्योगों में भी कभी कभी इसलिए काम रुक जाता है क्योंकि *जरूरी फ्यूल* नहीं था या कोई *स्पेयर पार्ट* उपलब्ध नहीं था या कोई *रॉ मटेरियल* कम पड़ गया।

 

पर किसी गरीब से गरीब घर मे भी *नमक* _कम नहीं पड़ता_।

 

शायद बहुत याद करने पर भी आप को *वह दिन याद न आ पाए* जिस दिन *मां आपको खाने में* सिर्फ इसलिए कुछ नहीं दे पाई कि *बनाने को कुछ नही था* या *गैस खत्म* हो गई थी या *कुकर का रिंग* खराब हो गया था।

 

हर कमोबेशी और हर समस्या का *विकल्प* एक गृहिणी रखती है।

 

वो भी *बिल्कुल खामोशी* से।

 

*सामग्री प्रबंधन* एवं *संचालन*, संधारण प्रबंधन का इससे बेहतर उदाहरण क्या हो सकता है ?

 

अचानक बड़ा खर्च आ जाने पर या किसी की बीमारी पर, बाकी सब बगलें झांकने लगते हैं।

 

लेकिन वो फटाफट पुराने संदूको में छुपा कर रखे बचत के पैसे निकालती है।

 

कुछ गहने गिरवी रखती है।

कुछ घरों से सिर्फ साख के आधार पर उधार लेती है।

 

पर *पैसे का इंतजाम* कर ही लाती है।

 

*संकटकालीन अर्थ प्रबंध* का इससे बेहतर क्या उदाहरण हो सकता है?

 

निचले इलाकों में बेमौसम बारिश में घर मे पानी भरने लगे या *बिना खबर* अचानक चार मेहमान आ जाएं।

 

सब के लिए *आपदा प्रबंधन* की योजना रहती है उसके पास।

 

और...

 

सारे प्रबंधन के लिए पास में है बस कुछ आंसू और कुछ मुस्कान।

 

लेकिन...

 

जो सबसे बड़ी चीज होती है...

 

वो है...

 

*जिजीविषा*, *समर्पण* और *प्रेम*।

 

सफल गृहिणी का *सबसे बड़ा संबल* होता है *सब्र*।

 

वही सब्र...

 

जिसके बारे में किसी ने बहुत सटीक कहा है...

 

*सब्र का घूंट दूसरों को पिलाना*

*कितना आसान लगता है*।

 

*ख़ुद पियो तो*,

*क़तरा क़तरा ज़हर लगता है*।!

🙏 *सभी महिलाओं को समर्पित*🙏🌺🌹🌸🌷💐

 

Mahila Diwas Par Kavita

कवि केदार नाथ सिंह जी की कविता

*स्त्रियां जब चली जाती हैं*

स्त्रियां
अक्सर कहीं नहीं जातीं
साथ रहती हैं
पास रहती हैं
जब भी जाती हैं कहीं
तो आधी ही जाती हैं
शेष घर मे ही रहती हैं

लौटते ही
पूर्ण कर देती हैं घर
पूर्ण कर देती हैं हवा, माहौल, आसपड़ोस

स्त्रियां जब भी जाती हैं
लौट लौट आती हैं
लौट आती स्त्रियां बेहद सुखद लगती हैं
सुंदर दिखती हैं
प्रिय लगती हैं

स्त्रियां
जब चली जाती हैं दूर
जब लौट नहीं पातीं
घर के प्रत्येक कोने में तब
चुप्पी होती है
बर्तन बाल्टियां बिस्तर चादर नहाते नहीं
मकड़ियां छतों पर लटकती ऊंघती हैं
कान में मच्छर बजबजाते हैं
देहरी हर आने वालों के कदम सूंघती है

स्त्रियां जब चली जाती हैं
ना लौटने के लिए
रसोई टुकुर टुकुर देखती है
फ्रिज में पड़ा दूध मक्खन घी फल सब्जियां एक दूसरे से बतियाते नहीं
वाशिंग मशीन में ठूँस कर रख दिये गए कपड़े
गर्दन निकालते हैं बाहर
और फिर खुद ही दुबक-सिमट जाते हैँ मशीन के भीतर

स्त्रियां जब चली जाती हैं
कि जाना ही सत्य है
तब ही बोध होता है
कि स्त्री कौन होती है
कि जरूरी क्यों होता है
घर मे स्त्री का बने रहना ✍

 

*कवि पंकज प्रसून की रचना*

🤷🏻‍♀लड़कियां बड़ी लड़ाका होती हैं...

मैंने देखा

एक लड़की महिला सीट पर बैठे पुरुष को

उठाने के लिए लड़ रही थी

तो दूसरी लड़की

महिला - कतार में खड़े पुरुष को

हटाने  के लिए लड़ रही थी

 

मैंने दिमाग दौड़ाया

तो हर ओर लड़की को लड़ते हुए पाया

 

जब लड़की घर से निकलती है

तो उसे लड़ना पड़ता है

गलियों से राहों से

सैकड़ों घूरती निगाहों से

 

लड़ना होता है तमाम अश्लील फब्तियों से

एकतरफा मोहब्बत से

ऑटो में सट कर बैठे किसी बुजुर्ग की फितरत से

 

उसे लड़ना होता है

विडंबना वाले सच से

टीचर के बैड टच से

 

वह अपने आप से भी लड़ती है

जॉब की अनुमति न देने वाले बाप से भी लड़ती है

 

उसे हमेशा यह दर्द सताता है

चार बड़े भाइयों के बजाय पहले मेरा डोला क्यों उठाया जाता है

 

वह स्वाभिमान के बीज बोने के लिए लड़ती है

खुद के पैरों पर खड़े होने के लिए लड़ती है

 

वह शराबी पति से रोते हुए पिटती है

फिर भी उसे पैरों पर खड़ा करने के लिए लड़ती है

 

कभी हवस के पुजारियों से लड़ती है कभी उनकी गंदी वासनाओं से लड़ती है

 

वह नहीं लड़ती महज  शोर मचाने के लिए

वह लड़ती है चार पैसे बचाने के लिए

वह अपने अधिकार के लिए लड़ती है

सुखी परिवार के लिए लड़ती है

 

वह सांपों से चील बनके लड़ती है

अदालत में वकील बन के लड़ती है

 

वह दिल में दया, ममता, प्यार लेकर लड़ती है

तो कभी हाथ में तलवार लेकर लड़ती है

 

वह लेखिका बनके  पेन से लड़ती है

जरूरत पड़े तो फाइटर प्लेन से लड़ती है

 

प्यार में राधा  दीवानी की तरह लड़ती है

तो जंग में झांसी की रानी की तरह लड़ती है

 

कभी कील बनके लड़ती है कभी किला बनके लड़ती है

कभी शर्मीली तो कभी ईरोम शर्मिला बनके लड़ती है

 

कभी शाहबानो बन पूरे समाज से लड़ती है

तो कभी सत्यवती बन यमराज से लड़ती है

 

कभी रजिया कभी अपाला बनके लड़ती है

कभी  हजरत महल कभी मलाला बनके लड़ती है

 

कभी वाम तो कभी आवाम बनके लड़ती है

और जरूरत पड़े तो मैरीकॉम बनके लड़ती है

 

कभी दुर्गावती कभी दामिनी बनकर लड़ती है

अस्मिता  पर आंच आये तो

पन्नाधाय और पद्मिनी बनके लड़ती है

 

कभी नफरत में कभी अभाव में लड़ती है

तो कभी इंदिरा बन चुनाव में लड़ती है

 

उसने लड़ने की यह शक्ति यूं ही नहीं पाई है

वह नौ महीने पेट के अंदर लड़ के आई है

 

*सच में लड़कियां बड़ी लड़ाका होती हैं*

 

_____🍃🙏🏼🍃_____

 

महिला दिवस पर संदेश लेखन
..... MAKE UP....(मेकअप)

लोग कहते है कि ..औरते बहुत मेकअप करती हैं..सच ही तो है ..
औरतें सिर्फ चेहरे पर ही नही.. बल्कि घर ,परिवार ,बच्चे, पति ,समाज सभी की
कमियों पर हमेशा मेकअप ही करती रहती हैं..........

दोस्तो की गलतियों पर मेकअप ..

बेहतर शिक्षा न् मिलने पर माता - पिता पर मेकअप..

शादी होने पर ससुराल वालों के तानो पर मेकअप..

मायके की कमियों पर मेकअप.

पति की बेवफाई पर मेकअप..

रिश्तों की बदनीयती पर मेकअप..

बच्चों की कमियो पर मेकअप ..
और उनकी गलतियों पर मेकअप ..

बुढ़ापे में दामाद के द्वारा किया गए अनादर पर मेकअप

तो बहु की बेरुखी पर मेकअप..

पोता - पोती की शरारतों पर मेकअप ..

और आखिर में..बुढ़ापे में परिवार में अस्तित्वहीन होने पर मेकअप..
एक औरत जन्म से लेकर मृत्यु तक मेकअप ही तो करती रहती है..
सिर्फ एक ही आस में कि उसे⬇
""तारीफ के दो बोल मिल जाये""
फिर भी हमेशा उसी को जलील होना पड़ता है।।

***तभी तो कहते हैं बिना #Makeup अधूरी नारी***

 

Women’s Day Shayari – नारी दिवस ही क्यों, हर दिन हर पल नारी को उत्तम मानो

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Women’s Day Status – पढ़ने और बुलंदियों को छूने का ख़्वाब रखती है

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Women’s Day Quotes – जीवन की कला को अपने हाथों से साकार कर नारी ने सभ्यता और संस्कृति का रूप निखारा है

Women’s Day Quotes – जीवन की कला को अपने हाथों से साकार कर नारी ने सभ्यता और संस्कृति का रूप निखारा है

 

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जन्मदिन की बधाई सन्देश – सभी के लिए

 

जन्मदिन की बधाई सन्देश – विशेष के लिए

 

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विवाह वर्षगांठ की बधाई संदेश – सभी के लिए

 

विवाह वर्षगांठ की बधाई संदेश – विशेष के लिए

 

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