जीवन में काम आने वाली बातें
जिंदगी में काम आने वाली अच्छी बातें
Table of Contents
काम की बातें काम के नुस्खे काम के टोटके
घरेलू काम की बातें
धीरे धीरे कितने नाजायज़ ख़र्च से जुड़ते गए है हम
*धीरे धीरे कितने नाजायज़ ख़र्च से जुड़ते गए है हम....* • टॉयलेट धोने का हार्पिक अलग, • बाथरूम धोने का अलग. • टॉयलेट की बदबू दूर करने के लिए खुशबू छोड़ने वाली टिकिया भी जरुरी है. • कपडे हाथ से धो रहे हो तो अलग वाॅशिंग पाउडर और मशीन से धो रहे हो तो खास तरह का पाउडर... (नहीं तो तुम्हारी 20000 की मशीन बकेट से ज्यादा कुछ नहीं.) • और हाँ, कॉलर का मैल हटाने का व्हॅनिश तो घर में होगा ही, • हाथ धोने के लिए नहाने वाला साबुन तो दूर की बात, • लिक्विड ही यूज करो, साबुन से कीटाणु 'ट्रांसफर' होते है (ये तो वो ही बात हो गई कि कीड़े मारनेवाली दवा में कीड़े पड़ गए) • बाल धोने के लिए शैम्पू ही पर्याप्त नहीं, • कंडीशनर भी जरुरी है, • फिर बॉडी लोशन, • फेस वाॅश, • डियोड्रेंट, • हेयर जेल, • सनस्क्रीन क्रीम, • स्क्रब, • 'गोरा' बनाने वाली क्रीम लेना अनिवार्य है ही. • और हाँ दूध (जो खुद शक्तिवर्धक है) की शक्ति बढाने के लिए हॉर्लिक्स मिलाना तो भूले नहीं न आप... • मुन्ने का हॉर्लिक्स अलग, • मुन्ने की मम्मी का अलग, • और मुन्ने के पापा का डिफरेंट. • साँस की बदबू दूर करने के लिये ब्रश करना ही पर्याप्त नहीं, माउथ वाश से कुल्ले करना भी जरुरी है.... तो श्रीमान जी... 10-15 साल पहले जिस घर का खर्च 8 हज़ार में आसानी से चल जाता था, आज उसी का बजट 40 हजार को पार कर गया है ! तो उसमें सारा दोष महंगाई का ही नहीं है, कुछ हमारी बदलती सोच भी है ! *और दिनरात टीवी पर दिखाये जानवाले विज्ञापनों का परिणाम है !* सोचो.. सीमित साधनों के साथ स्वदेशी जीवन शैली अपनायें, देश का पैसा बचाएं । जितना हो सके साधारण जीवन शैली अपनाये ! केवल सरकार को महँगाई के लिये कोसने से कुछ नही होगा । 🙏👍👌😊 *यह मैसेज बहुत हद तक सबकी आंखें खोलने वाला कड़वा सच है, बस गहराई से सोचने और समझने की जरूरत है ।* 🤔🤔
एक होमवर्क ऐसा भी
*चेन्नई के एक स्कूल ने अपने बच्चों को छुट्टियों का जो एसाइनमेंट दिया वो पूरी दुनिया में वायरल हो रहा है.* वजह बस इतनी कि उसे बेहद सोच समझकर बनाया गया है. इसे पढ़कर अहसास होता है कि हम वास्तव में कहां आ पहुंचे हैं और अपने बच्चों को क्या दे रहे हैं. अन्नाई वायलेट मैट्रीकुलेशन एंड हायर सेकेंडरी स्कूल ने बच्चों के लिए नहीं बल्कि पेरेंट्स के लिए होमवर्क दिया है, जिसे हर एक पेरेंट को पढ़ना चाहिए. उन्होंने लिखा- पिछले 10 महीने आपके बच्चों की देखभाल करने में हमें अच्छा लगा.आपने गौर किया होगा कि उन्हें स्कूल आना बहुत अच्छा लगता है. अगले दो महीने उनके प्राकृतिक संरक्षक यानी आप उनके साथ छुट्टियां बिताएंगे. हम आपको कुछ टिप्स दे रहे हैं जिससे ये समय उनके लिए उपयोगी और खुशनुमा साबित हो. - अपने बच्चों के साथ कम से कम दो बार खाना जरूर खाएं. उन्हें किसानों के महत्व और उनके कठिन परिश्रम के बारे में बताएं. और उन्हें बताएं कि अपना खाना बेकार न करें. - खाने के बाद उन्हें अपनी प्लेटें खुद धोने दें. इस तरह के कामों से बच्चे मेहनत की कीमत समझेंगे. - उन्हें अपने साथ खाना बनाने में मदद करने दें. उन्हें उनके लिए सब्जी या फिर सलाद बनाने दें. - तीन पड़ोसियों के घर जाएं. उनके बारे में और जानें और घनिष्ठता बढ़ाएं. - दादा-दादी/ नाना-नानी के घर जाएं और उन्हें बच्चों के साथ घुलने मिलने दें. उनका प्यार और भावनात्मक सहारा आपके बच्चों के लिए बहुत जरूरी है. उनके साथ तस्वीरें लें. - उन्हें अपने काम करने की जगह पर लेकर जाएं जिससे वो समझ सकें कि आप परिवार के लिए कितनी मेहनत करते हैं. - किसी भी स्थानीय त्योहार या स्थानीय बाजार को मिस न करें. - अपने बच्चों को किचन गार्डन बनाने के लिए बीज बोने के लिए प्रेरित करें. पेड़ पौधों के बारे में जानकारी होना भी आपके बच्चे के विकास के लिए जरूरी है. - अपने बचपन और अपने परिवार के इतिहास के बारे में बच्चों को बताएं. - अपने बच्चों का बाहर जाकर खेलने दें, चोट लगने दें, गंदा होने दें. कभी कभार गिरना और दर्द सहना उनके लिए अच्छा है. सोफे के कुशन जैसी आराम की जिंदगी आपके बच्चों को आलसी बना देगी. - उन्हें कोई पालतू जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ली, चिड़िया या मछली पालने दें. - उन्हें कुछ लोक गीत सुनाएं. - अपने बच्चों के लिए रंग बिरंगी तस्वीरों वाली कुछ कहानी की किताबें लेकर आएं. - अपने बच्चों को टीवी, मोबाइल फोन, कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रखें. इन सबके लिए तो उनका पूरा जीवन पड़ा है. - उन्हें चॉकलेट्स, जैली, क्रीम केक, चिप्स, गैस वाले पेय पदार्थ और पफ्स जैसे बेकरी प्रोडक्ट्स और समोसे जैसे तले हुए खाद्य पदार्थ देने से बचें. - अपने बच्चों की आंखों में देखें और ईश्वर को धन्यवाद दें कि उन्होंने इतना अच्छा तोहफा आपको दिया. अब से आने वाले कुछ सालों में वो नई ऊंचाइयों पर होंगे. माता-पिता होने के नाते ये जरूरी है कि आप अपना समय बच्चों को दें. अगर आप माता-पिता हैं तो इसे पढ़कर आपकी आंखें नम जरूर हुई होंगी. और आखें अगर नम हैं तो वजह साफ है कि आपके बच्चे वास्तव में इन सब चीजों से दूर हैं. इस एसाइनमेंट में लिखा एक-एक शब्द ये बता रहा है कि जब हम छोटे थे तो ये सब बातें हमारी जीवनशैली का हिस्सा थीं, जिसके साथ हम बड़े हुए हैं, लेकिन आज हमारे ही बच्चे इन सब चीजों से दूर हैं, जिसकी वजह हम खुद हैं
काम की बातें इन हिंदी
ग्रहों को Active करने वाली कुछ बातें
*ग्रहों को Active करने वाली कुछ बातें* सुबह "ब्रह्म मुहूर्त" में उठे निम्नलिखित कार्य करे उस दिन के लिए आप के सभी ग्रह अनुकूल हो जायेंगे और दिन भर एक दिव्य शक्ति की अनुभूति होती रहेगी सुबह उठ कर सबसे पहले अपने "माँ बाबू जी " के चरण सपर्श करे उस दिन के लिए "सूर्य चन्द्र" बहुत ही शुभ फल देंगे रोजाना शुभ फल चाहते हो तो रोज यह कार्य जरूर करें एक गिलास गर्म पानी पियें जल(चन्द्र) का यह प्रवाह आपके शरीर की सारी नसों को खोल देगा| दांत साफ़ करके घर से निकल कर सैर करने जाए और घास पर नंगे पाँव चले इससे आप का "बुध" बलवान होगा| सैर पर आप अपनी पत्नी को भी ले जाएँ "पत्नी" साथ होगी तो सुबह की सैर का "लुत्फ़" ही कुछ और होगा (थोडा सा रोमानी हो जाए )दिन भर स्फूर्ति रहेगी तो "शुक्र" का रोमांस भी आप के साथ होगा| घर से जब चले तो साथ में कुछ खाने का सामान "Bread" वगैरह लेकर जाएँ कई बार रास्ते में आवारा "कुत्ते" मिलतें है उन्हें Bread खाने को दे जिससे आप का "केतु" भी अनुकूल होगा क्योंकि "कुत्ता जाति को माना गया है दरवेश ,इसकी प्रार्थना करती प्रभु के घर प्रवेश "| पन्द्रह बीस मिनट कसरत करें, जिम जाते हैं तो आप का "मंगल" आप को चुस्त दरुस्त रखेगा| नहाने से पहले सरसों के तेल की मालिश करें "शनि" की कमी भी दूर हो जायेगी| नहाने के बाद श्रद्धा अनुसार पूजा पाठ से "गुरु" भी active हो जायेंगे| भगवान् सूर्य को जल दे "राहू" के दोष भी शांत होते हैं| आज कल गर्मियाँ हैं गली मोहल्ले में सुबह सफाई कर्मचारी झाड़ू लगाने आता है उसे ठंडा पानी पिलाए या कुछ खिला दे "राहू" की आशीष भी मिल जायेगी| अगर आप यह प्रतिदिन "नियम" से करेंगे तो जीवन में एक "अनुशासन" आएगा तो समझ ले "सूर्य" भी अनुकूल हो गया क्योंकि वक़्त की पाबंदी सीखनी है तो "सूर्य" से सीखें,सूर्य सभी ग्रहों के दोषों को हर लेता है।
ऐसी बातें जो जिंदगी बदल दे
संसार में जन्म लेने के लिए माँ के गर्भ में *9 महीने* रुक सकते है। चलने के लिए *2 वर्ष*, स्कूल में प्रवेश के लिए *3 वर्ष,* मतदान के लिए *18 वर्ष,* नौकरी के लिए *22 वर्ष ,* शादी के लिये *25 -30 वर्ष*, इस तरह अनेक मौकों के लिए हम *इंतजार* करते है। लेकिन,,,,,, गाड़ी *ओवरटेक* करते समय *30 सेकंड* भी नही रुकते,,,,।। बाद में *एक्सीडेंट* होने के बाद *जिन्दा* रहे तो एक्सीडेंट निपटाने के लिए *कई घण्टे*, हॉस्पिटल में *कई दिन, महीने या साल* निकाल देते है। *कुछ सेकंड* की गड़बड़ी कितना *भयंकर परिणाम* ला सकती है। जाने वाले चलें जाते हैं , पीछे वालों का क्या! इस पर विचार किया, कभी किया नहीं । फिर हर बार की तरह, सिर्फ *नियति* को ही दोष ।। इसलिये *सही रफ्तार*, *सही दिशा* में व वाहन *संभल* कर चलायें *सुरक्षित* पहुंचे। *आपका अपना मासूम परिवार आपका घर पर इंतजार कर रहा है।* आप से निवेदन है इसे आगे फैलाने में मदद करें।क्या पता 1% लोग भी मेरे विचार से सहमत हो तो उनकी ज़िन्दगी बच जाए।😊जय हिंद👍👍🤝
स्वास्थ्य की बातें
बाजरा खाइए, हड्डियों के रोगों को दूर भगाइए
*बाजरा खाइए, हड्डियों के रोगों को दूर भगाइए* 🌾बाजरा खाइए, हड्डियों के रोग नहीं होंगें। 🌾बाजरे की रोटी का स्वाद जितना अच्छा है, उससे अधिक उसमें गुण भी हैं। 🌾- बाजरे की रोटी खाने वाले को हड्डियों में कैल्शियम की कमी से पैदा होने वाला रोग आस्टियोपोरोसिस और खून की कमी यानी एनीमिया नहीं होता। 🌾- बाजरा लीवर से संबंधित रोगों को भी कम करता है। 🌾- गेहूं और चावल के मुकाबले बाजरे में ऊर्जा कई गुना है। 🌾- बाजरे में भरपूर कैल्शियम होता है जो हड्डियों के लिए रामबाण औषधि है। उधर आयरन भी बाजरे में इतना अधिक होता है कि खून की कमी से होने वाले रोग नहीं हो सकते। 🌾- खासतौर पर गर्भवती महिलाओं ने कैल्शियम की गोलियां खाने के स्थान पर रोज बाजरे की दो रोटी खाना चाहिए। 🌾- वरिष्ठ चिकित्साधिकारी मेजर डा. बी.पी. सिंह के सेना में सिक्किम में तैनाती के दौरान जब गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम और आयरन की जगह बाजरे की रोटी और खिचड़ी दी जाती थी। इससे उनके बच्चों को जन्म से लेकर पांच साल की उम्र तक कैल्शियम और आयरन की कमी से होने वाले रोग नहीं होते थे। 🌾-इतना ही नहीं बाजरे का सेवन करने वाली महिलाओं में प्रसव में असामान्य पीड़ा के मामले भी न के बराबर पाए गए। 🌾- डाक्टर तो बाजरे के गुणों से इतने प्रभावित है कि इसे अनाजों में वज्र की उपाधि देने में जुट गए हैं। 🌾- बाजरे का किसी भी रूप में सेवन लाभकारी है। 🌾लीवर की सुरक्षा के लिए भी बाजरा खाना लाभकारी है। 🌾- उच्च रक्तचाप, हृदय की कमजोरी, अस्थमा से ग्रस्त लोगों तथा दूध पिलाने वाली माताओं में दूध की कमी के लिये यह टॉनिक का कार्य करता है। 🌾- यदि बाजरे का नियमित रूप से सेवन किया जाय तो यह कुपोषण, क्षरण सम्बन्धी रोग और असमय वृद्धहोने की प्रक्रियाओं को दूर करता 🌾- रागी की खपत से शरीर प्राकृतिक रूप से शान्त होता है। यह एंग्जायटी, डिप्रेशन और नींद न आने की बीमारियों में फायदेमन्द होता है। यह माइग्रेन के लिये भी लाभदायक है। 🌾- इसमें लेसिथिन और मिथियोनिन नामक अमीनो अम्ल होते हैं जो अतिरिक्त वसा को हटा कर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करते हैं। 🌾- बाजरे में उपस्थित रसायन पाचन की प्रक्रिया को धीमा करते हैं। डायबिटीज़ में यह रक्त में शक्कर की मात्रा को नियन्त्रित करने में सहायक होता है। इस मैसेज को अपने परिचित /मित्र/ या आपके व्हाट्स एप्प ग्रुप फ्रेंड्स तक भेज सकते हैं ।आपका यह कदम स्वस्थ भारत के निर्माण मैं योगदान दे सकता है। स्वस्थ रहो मस्त रहो व्यस्त रहो और सदा खुश रहो।
प्रेरणादायक ज्ञान की बातें
प्रकृति के 3 नियम
*प्रकृति का पहला नियम* यदि खेत में बीज न डालें जाएं तो कुदरत उसे घास-फूस से भर देती हैं । ठीक उसी तरह से दिमाग में सकारात्मक विचार न भरे जाएँ तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेती है । *प्रकृति का दूसरा नियम* जिसके पास जो होता है वह वही बांटता है। सुखी "सुख "बांटता है दुःखी "दुःख " बांटता है ज्ञानी "ज्ञान" बांटता है भ्रमित "भ्रम "बांटता है भयभीत" भय "बांटता हैं *प्रकृति का तीसरा नियम* आपको जीवन से जो कुछ भी मिलें उसे पचाना सीखो क्योंकि भोजन न पचने पर रोग बढते है। पैसा न पचने पर दिखावा बढता है बात न पचने पर चुगली बढती है । प्रशंसा न पचने पर अंहकार बढता है। निंदा न पचने पर दुश्मनी बढती है । राज न पचने पर खतरा बढता है । दुःख न पचने पर निराशा बढती है । और सुख न पचने पर पाप बढता है । बात कडुवी बहुत है पर सत्य है
समाज की अच्छी बातें
जरा सा फर्क
*जरा सा फर्क* समय निकाल कर शांत मन से पढिएगा ज़रा सा फर्क होता है, लोगों के जिंदा रहने में और एक दिन ना रहने में ये इतने सारे लोग जो गए हैं, क्या कभी इनको देखकर ऐसा लगा था ? कि ये यूं ही चले जायेंगे बिना कुछ कहे, बिना बताए उन सब से हमें कुछ लगाव था, कुछ शिकायतें थी कुछ नाराज़गी भी थी, जो कभी कही नहीं हमने और कहा तो वो भी नहीं था, जो उन सब इंसानो में बेहद पसंद था हमें फिर अचानक सुबह एक दिन खबर आती है, ये नहीं रहे, वो नहीं रहे नहीं रहे मतलब, कैसे नहीं रहे ? कैसे एक पल में सब बदल जाता है वही सारे लोग जिनसे हम मिले थे अभी कुछ समय पहले वे इतनी जल्दी गायब कैसे हो सकते है और गायब भी ऐसे , कि दोबारा मिलेंगे ही नहीं जैसे वे कभी कुछ बोले ही न थे ना जिये जैसे कोई बेजान खिलौना, जिसकी चाबी खत्म हो गयी हो कितना कुछ कहना रह गया था उन सब को कहीं घूमने फिरने जाना था उन सब के साथ खाना भी खाना था, पार्टियां भी करनी थी कुछ बताना था, कुछ कहना भी था उन सब को बहुत सी बातें करनी थी फ़िज़ूल की ही सही वो भी कहाँ हो पाया सब रह गया वो सब चले गए न हम सब तैयार थे न वो सब तैयार थे विदाई के लिए ऐसे ही एक दिन हमारी भी खबर आनी है, एक सुबह एक दोपहर एक शाम कि वो फलाने नहीं रहे लोग अरे! कह के एक मिनिट खामोश होंगे फिर जीवन बढ़ जाएगा आगे इसलिए आओ तैयारी कर लेते हैं सब नाराज़गी, शिकायतों और तारीफों का हिसाब चुका के रख लेते हैं ज़िंदगी हल्की हो जाएगी, तो आखिरी सांस पर मलाल का वज़न नहीं रहेगा क्योंकि ज़रा सा फर्क होता है लोगों के जिंदा रहने में और एक दिन ना रहने मे 🚩😌 🙏🚩
*बहुत ही सार्थक कथानक है, ध्यान से पढ़ कर विचार करें*
*बहुत ही सार्थक कथानक है, ध्यान से पढ़ कर विचार करें* एक दिन मेरे पास एक फोन आया, ‘हैलो! पहचाना?’ कुछ देर पहेलियाँ बूझने के बाद पता चला कि दूसरी तरफ मेरे कॉलेज के दिनों का साथी है। एक पल में उम्र की सलवटें ग़ायब हो गईं। दोनों अपने परिवार और कामकाज के बारे में एक दूसरे को बताने लगे। दोनों एक ही शहर में ही रहते हैं। घरों में बस 50 मिनट की दूरी, फिर भी कभी मिले नहीं! अगले ही रविवार को दोनों परिवार सहित मिले। एक दूसरे के सम्पर्क में कौन-कौन दोस्त हैं? इसकी एक सूची बनायी गयी। और देखते ही देखते पूरा कॉलेज-कुनबा फिर से एकजुट हो गया। हमने एक व्हाट्सअप ग्रुप बना लिया। सभी दोस्तों को एक दूसरे की ख़बरें मिलने लगीं। एक दोस्त की बेटी को आई.आई.टी. में प्रवेश मिला तो सभी ने बधाइयों के अंबार लगा दिए। साथ ही मज़ाक भी हुआ--कि भाई तुम तो पढ़ने में फिसड्डी थे, बेटी तुम्हारी ही है न! एक दोस्त के बेटे ने भारत की तरफ से कामनवेल्थ खेलों में शिरकत की, सबका सीना चौड़ा हो गया। ये बात सबने अपने सहकर्मियों को बताई। जब भी भारत का कोई नया उपग्रह आकाश में उड़ता तो खबर आती कि ‘इसरो’ में काम करने वाले एक दोस्त ने भी उसमें अपना योगदान दिया है। सबको अच्छा लगता। लेकिन फिर ग्रुप की फिज़ा बदली। एक दोस्त ने प्रधानमंत्री की तारीफ़ में कुछ लिखा, कुछ लोगों ने इसका समर्थन किया। ये बात एक असमर्थक साथी को नागवार गुज़री। उसने घंटों तक रिसर्च करके प्रधानमंत्री को देश का सबसे बुरा आदमी और राहुल गांधी को सबसे अच्छा, समझदार, नई सोच का युवा नेता और गरीबों तथा अल्पसंख्यकों का मसीहा बताया। एक दूसरे को झूँठा साबित करने में किसी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। बात इतनी बढ़ गई कि राजनैतिकि बहस से व्यक्तिगत लांछन शुरू हो गए। तथ्य और आंकड़े सब अपने हिसाब से तोड़-मरोड़ कर पेश करते रहे। अब कोई भी विषय का विशेषज्ञ तो था नहीं, पर सुनी सुनाई बातों एवं सोशल मीडिया पर हो रहे अनर्गल प्रलाप के आधार पर एक ‘शास्त्रार्थ’ शुरू हो गया। और जैसा कि इन बहसों में अक्सर होता है। मुझे समझ न आया कि एक दूसरे से इतना प्यार करने वाले दोस्त एक दूसरे के खिलाफ ऐसा जहर कैसे उगल सकते हैं? जो लोग कॉलेज के ज़माने में कभी एक दूसरे का साथ न छोड़ते थे, किसी भी मुद्दे पर कंधे से कंधा मिलकर खड़े होते थे अचानक उनको ये क्या हो गया है? किसी ने लिखा—दोस्तो! जब भी मैं ग्रुप देखता हूँ तो यही बातें दिखती हैं: कभी किसीकी ग़लत आलोचना तो कभी किसीकी झूँठी तारीफ़। क्या हम आपस में मिलते हैं तो ये बातें करते हैं? ग्रुप का मकसद एक दूसरे के साथ अपनी ज़िन्दगी के सुख-सुख बांटना है, एक दूसरे की सहायता करना है। पर अगर इससे एक दूसरे के प्रति वैमनस्य आये तो ग्रुप Negativity का Super spreader बन जाता है । बेहतर है कि हम ग्रुप को ही ख़त्म कर दें, ताकि जब मिलें तो आपस में प्यार से तो मिलें! बात दोस्तों को समझ आयी। ग्रुप बरकरार है। "चुनाव तो आएंगे और चले भी जाएंगे। सभी को मतदान करने का हक़ है। अपनी पसंद की पार्टी को वोट देने का हक है। पर अपनी पसंद दूसरों पर थोपने का नहीं।" राजनैतिक पार्टियां अपना प्रचार खुद कर लेंगी अनावश्यक वहसबाजी में पड़कर आप अपने अच्छे दोस्त को खो सकते हैं। ज़रूरी नहीं जो आपकी राजनैतिक पसंद है आपके सभी जानने वाले भी उसी ही पसंद करें। हम एक स्वतन्त्र देश के स्वतन्त्र नागरिक है। सबको अपने स्वतंत्र विचार रखने का पूरा हक है। अनावश्यक राजनैतिक बहसों से बचिए। "रिश्तों में कड़वाहट आयी तो वो नहीं जायेगी"। ये संदेश मुझे एक ग्रुप में मिला। अच्छा लगा इसलिये प्रेषित कर रहा हूँ । हालाकि इस संदेश की कई प्रतिक्रिया भी आई थी " ये मरघट ज्ञान है,कल से फिर पहले जैसा ही होगा " फिर भी Copy paste कर रहा हूँ क्योंकि मुझे सार्थक लगा । 🙏🙏🙏
विवाद का विषय
*विवाद का विषय* चार बुढ़िया थीं। उनमें विवाद का विषय था कि हम में बड़ी कौन है ? जब वे बहस करते-करते थक गयीं तो उन्होंने तय किया कि पड़ौस में जो नयी बहू आयी है, उसके पास चल कर फैसला करवायें। 👱🏻♀️ वह चारों बहू के पास गयीं। बहू-बहू ! हमारा फैसला कर दो कि हम में से कौन बड़ी है ? बहू ने कहा कि आप अपना-अपना परिचय दो ! पहली बुढ़िया ने कहा मैं भूख हूं। मैं बड़ी हूं न? बहू ने कहा कि भूख में विकल्प है , ५६ व्यंजन से भी भूख मिट सकती है , और बासी रोटी से भी ! दूसरी बुढ़िया ने कहा मैं प्यास हूं, मैं बड़ी हूं न ? बहू ने कहा कि प्यास में भी विकल्प है, प्यास गंगाजल और मधुर- रस से भी शान्त हो जाती है और वक्त पर तालाब का गन्दा पानी पीने से भी प्यास बुझ जाती है। तीसरी बुढ़िया ने कहा मैं नींद हूं,मैं बड़ी हूं न ? बहू ने कहा कि नींद में भी विकल्प है। नींद सुकोमल-सेज पर आती है किन्तु वक्त पर लोग कंकड-पत्थर पर भी सो जाते हैं। अन्त में चौथी बुढ़िया ने कहा > मैं आस (आशा) हूं,मैं बड़ी हूं न ? बहू ने उसके पैर छूकर कहा कि आशा का कोई विकल्प नहीं है। आशा से मनुष्य सौ बरस भी जीवित रह सकता है,किन्तु यदि आशा टूट जाये तो वह जीवित नहीं रह सकता, भले ही उसके घर में करोडों की धन दौलत भरी हो। यह आशा और विश्वास जीवन की शक्ति है, इसके आगे वह वायरस (कोरोना) क्या चीज है ? संकट जरूर है, वैश्विक भी है. लेकिन इसी विष में से अमृत निकलेगा. निश्चित ही मनुष्य विजयी होगा, मनुष्यता जीतेगी | तूफान तो आना है ... आकर चले जाना है .. बादल है ये कुछ पल का ... छा कर चले जाना है !!! रिकवरी रेट बढ़ रहा हैं, कोराना पॉज़िटिवीटी रेट घट रहा हैं, अस्पतालों में लगातार बिस्तर भी बढ़ रहे हैं, ऑक़्सिजन भी बढ़ रही है, इंजेक्शन का बड़ा उत्पादन शुरू हो गया है। मदद के लिए रेल एक्सप्रेस दौड़ रही है, वायु यान उड़ रहे है, आयुर्वेद और योग हमें शक्ति दे रहा हैं, धेर्य रखें हम जीत रहें हैं। आत्मविश्वास बनाए रखना है और सकारात्मक समाचारों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाए,ताकि समाज में एक अच्छा मैसेज जाए। माना कि अंधेरा घना है , फिर भी दिया जलाना कहां मना है...🌹