Shani Jayanti Wishes – शनि जयंती पर शुभकामना और बधाई संदेश
Shani Jayanti Wishes in Hindi
Table of Contents
Shani Jayanti Quotes 2024
सुर्यपुत्र शानिदेव हर व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार फल देते है, वे न्याय के देवता है। हर साल जेष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को शनिदेव की जयंती मनाई जाती है। शनिदेव आप पर कृपा बनाए रखें, इसके लिए शनि जयंती पर पूजा अनुष्ठान आदि किए जाते हैं। इस समय कोरोना काल में ऐसा करना मुश्किल है इसलिए आप शनि जयंती की शुभकामनाएं सभी का भेजकर उन्हें कुछ प्रसन्न तो कर ही सकते हैं। यहां से चुनें अपना शनि देव जयंती का भक्तिमय सन्देश और अपनों को शेयर करें ।
शनि जयंती पर बधाई सन्देश
न के अच्छे समय में शनिदेव का गुणगान करो। आपतकाल में शनिदेव के दर्शन करो। मुश्किल पीड़ादायक समय में शनिदेव की पूजा करो। दुखद प्रसंग में भी शनिदेव पर विश्वास करो। जीवन के हर पल शनिदेव की प्रति कृतज्ञता प्रकट करो। शनिदेव जी की जयंती की आप सबको शुभकामनाएं..
शनि देव हमेशा आपको सही मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन करें और विवेकपूर्ण निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करें। शनि जयंती की शुभकामनाएं !
सदा तुम पूरी मेरी हर इक आस करना, हे शनिदेव तुम मुझे न निराश करना तेरी भक्ति से मिलता है आत्मा को आराम, आपकी कृपा से रंक भी हो जाए राजा समान शनि जयंती की शुभकामनाएं
न्याय के देवता, कर्म के फलदाता भगवान शनिदेव जी की जयंती की आप सबको शुभकामनाएं..
हे शनि तुम हो सबसे बेमिसाल, तुमसे आंख मिलाए किसकी है मजाल, सूर्य के हो पुत्र तुम और छाया के लाल, मूरत तेरी देखकर भाग जाए काल. शनि जयंती की शुभकामनाएं
जय-जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महराज। करहुं कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥ शनि जयंती की शुभकामनाएं !
ऊँ शं शनैश्चाराय नमः। शनि जयंती की शुभकामनाएं
हे शनि देव तेरी जय जय कार नीलवर्ण की छवि तुम्हारी, ग्रह मंडल के तुम बलिहारी तेरे चरण में शरणागत है देवलोक और संसार। शनि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं !
शनि जयंती सन्देश
जोड़े हाथ हम खड़े हैं बनके भिखारी, दया करो हे शनिदेव आए हम शरण तिहारी, तुमको सब कहते हैं नौ ग्रहों में दंडनायक, क्योंकि तुम हो कर्मों के फलदाता शनि जयंती की बधाई !
हे दाढ़ी-मूछों वाले, लंबी जटाएं पाले हे दीर्घ नेत्रवाले, शुष्कोदरा निराले भय आकृति तुम्हारी, सब पापियों को मारे स्वीकारो नमन हमारे, हे शनि भक्तों के रखवाले। शनि जयंती की शुभकामनाएं !
हे श्यामवर्ण वाले, हे नीलकंठ वाले, कालाग्नि रूप वाले, हल्के शरीर वाले, स्वीकारो नमन हमारे, शनिदेव हम हैं तुम्हारे, सच्चे सुकर्म वाले हैं, बसते हो मन में तुम ही हमारे हैप्पी शनि जयंती 2024
रुद्र मंगल महा प्रताप, तेजमयी तू सूर्य पुत्र है तेज है तेरा अवतार, करते हैं हम तेरे गुणगान। शनि जयंती की शुभकामनाएं !
हे शनिदेव जिस पर होती है आपकी वक्र दृष्टि, उस व्यक्ति का पल भर में विनाश है निश्चित, आपकी कुदृष्टि से राजा भी होता है पल में भिखारी, नहीं डूबती उनकी नैय्या, जो होते हैं शरण तिहारी. शनि जयंती 2024 की शुभकामनाएं
घर में क्यों नहीं रखते है भगवान शनिदेव की प्रतिमा
*घर में क्यों नहीं रखते है भगवान शनिदेव की प्रतिमा* पौराणिक कथा के अनुसार श्री शनिदेव को श्राप मिला हुआ है कि वह जिस भी किसी को देखेंगे उसका अनिष्ट हो जाएगा। यही कारण है कि शनिदेव की दृष्टि से बचने के लिए घर पर उनकी मूर्ति नहीं लगाई जाती है। मंदिर में पूजन करते समय भी शनिदेव की दृष्टि की ओर नहीं देखा जाता है। कभी शनिदेव के एक दम सामने खड़े होकर या फिर उनकी आंखों में आंखे डालकर दर्शन एवं पूजन नहीं करना चाहिए। घर में शनिदेव का स्मरण किया जा सकता है।
शनि देव को क्यों करते है तेल अर्पित
*शनि देव को क्यों करते है तेल अर्पित* पौराणिक कथा के अनुसार, रावण ने एक बार सभी ग्रहों को अपने अनुसार राशि में बैठाया परन्तु शनि देव ने रावण की बात मानने से मना कर दिया इसलिए रावण ने उन्हें उल्टा लटका दिया। इसके पश्चात हनुमानजी लंका पहुंचे तब रावण ने हनुमान जी की पुंछ में आग लगा दी। हनुमानजी ने उड़ कर सारी लंका को जला दिया। आग लगने के बाद सभी बंदी ग्रह भाग गए परन्तु उल्टा लटका होने के कारण शनिदेव नहीं भाग पाए। शनिदेव की देह में बहुत पीड़ा हो रही थी। तब हनुमान जी ने शनि देव को तेल लगाया, जिससे शनि देव की पीड़ा कुछ कम हुई। इसके पश्चात शनि देव ने कहा कि आज से मुझे तेल अर्पित करने वाले सभी व्यक्तियों की पीड़ा को मैं हर लूंगा। तब से ही शनि देव को तेल अर्पित किया जाने लगा। शनि देव को तेल चढ़ाते समय उस तेल में चेहरा देखने से शनि दोषों से मुक्ति प्राप्त होती है और समृद्धि का आगमन होता है।
श्री शनि शिंगणापुर मंदिर दर्शन और यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी
न्याय के देवता और शनि ग्रह के प्रतीक श्री शनि शिंगणापुर मंदिर दर्शन और यात्रा की पूरी जानकारी
पौराणिक कथा शनि शिंगणापुर की
लगभग 400 साल पहले शिंगणापुर में मूसलधार बारिश का प्रकोप छाया था। पानी इतनी तेजी के साथ गिर रहा था कि कुछ समय में बाढ़ आ गई। इसी भारी बारिश ले दौरान एक श्याम वर्णीय पाषण प्रतिमा बेर के पेड़ में फंस कर रुक गई। बारिश थमने के बाद एक चरवाहे ने पाषण शिला को देखा, और अपने 4-5 लड़कों को एकत्रित किया। उस चरवाहे ने शिला को लाठी से कुरेदने की कोशिश की। कुरेदते ही उस शिला में एक घाव हो गया और खून बहने लगा। यह देख लड़के घबरा कर गाँव पहुचे और अपने माता पिता व अन्य गाँव वालों को सारा व्रतान्त सुनाया। गाँव के सारे लोग पाषण शिला के पास पहुँच गये और चमत्कार देख कर हैरान हो गये। रात होते देख लोग दुखी मन अपने घर पर वापस आ गये। रात्रि में एक व्यक्ति के स्वप्न में शनि देव आये और कहा ‘कल तुमने, गांव वालों ने, गोपालों ने जो कुछ देखा है, वह सब सच है। भक्त, मैं साक्षात शनिदेव बोल रहा हूं। मुझे वहां से उठाइए और मेरी प्राण प्रतिष्ठा कीजिए- इति शनि भगवान।’
अगले दिन उसने गांव के लोगों के समक्ष अपने सपने का वर्णन किया, जिसे सुनकर सभी आश्चर्य में पड़ गये और एक बैलगाड़ी लेकर बेर के पेड़ में अटकी शनि देव की पाषण प्रतिमा को लेने पहुचे। सभी लोगों के प्रतिमा को को उठाकर बैलगाड़ी में चढ़ाने का प्रयास किया पर वह प्रतिमा टस से मस नहीं हुई। अंत में मायूस गाँव वाले अपने-अपने घर लौट आए।
उस रात्रि पुन: शनि भगवान ने उसी भक्त के स्वप्न में आकर कहा भक्त मेरी प्रतिमा को केवल वही लोग उठा पाएंगे जो रिश्ते में सगे मामा-भांजा हों और जो बैल जोतेंगे, वे भी काले वर्ण के होने के साथ-साथ रिश्ते में सगे मामा-भांजा लगते हो। भक्त ने अगले दिन पुन: रात्रि का स्वप्न गाँव वालों को सुना कर अमल करने को कहा। अभी तक जो प्रतिमा एक साथ कई लोगों से नहीं उठी, उसे मात्र दो सगे मामा-भांजे के उठाने से सफलता प्राप्त हुई।
उस भक्त ने मन में प्रतिमा को अपने खेत में स्थापित करने का सोचा पर प्रतिमा स्थिर ही रही। गाँव में एक स्थान पर हलचल हुई तब शनि देव की प्रतिमा को हलचल वाले स्थान पर स्थपित किया गया। तब से शनिदेव की प्रतिमा उसी हलचल वाले स्थान पर आज तक स्थित है। एक भक्त ने शनि देव की कृपा से पुत्र रत्न प्राप्त होने पर सुंदर-सा चबूतरा बनाने का संकल्प किया। जब चबूतरे का निर्माण आरंभ हुआ, तब भक्तों ने प्रतिमा को हटा कर स्थान्तरित करने का प्रयास किया, तब भी प्रतिमा तस से मस नही हुई। रात्रि में शनिदेव ने भक्त के स्वप्न में आकर समझाया कि मुझे उठाए और हिलाये बिना चबूतरे का निर्माण करें। भक्तों ने उसी अवस्था में प्रतिमा के चारों तरफ तीन फिट का चबूतरा बनवाया। आज हमें न्याय के देवता श्री शनिदेव देव की प्रतिमा जितनी ऊपर दिखाई देती है, उतनी ही नीचे भी स्थित है।
www.bharatyatri.com के सौजन्य से
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